हाथरस-25 मई। जिला कृषि रक्षा अधिकारी राजेश कुमार ने अवगत कराया है कि सादाबाद विकास खण्ड में बरौस, सरौठ, सीस्ता, गुरसौटी मुरसान विकास खण्ड के गॉव बिशुनदास, मगटई, अमरपुर, दाउदा बंका सासनी विकास खण्ड बिर्रा, गोहना, नगला लोका, नगला खन्दा, नगला सेवा, रामनगर आदि में सन्तोश शर्मा वरिष्ठ प्राविधिक सहायक कृषि रक्षा के साथ कीट और रोग सर्वेक्षण किया गया। मौसम में अचानक आये बदलाव को देखते हुये जनपद के मक्का और बाजरा उत्पादक किसानों को सलाह दी जाती है कि, जिस तरह का मौसम पिछले कई दिन से चल रही लू एवं जो गर्मी पड़ रही है उसमें मक्का और बाजरा की फसल पर कीट और बीमारियों का प्रकोप होने की सम्भावना बहुत बढ़ गयी है। यदि इस तरह का मौसम कुछ दिनों रहता है तो मक्का और बाजरा की फसल में तना छेदक, फाल आर्मी वर्म कीट और झुलसा रोग के प्रकोप की सम्भावना बहुत अधिक रहेगी, जिन किसान भाइयों ने मक्का और बाजरा के बीज को बीज शोधन दवाई से शोधन कर नहीं बोया है। उन खेतों में प्रकोप अधिक मात्रा में दिखाई देगा, अधिक प्रकोप की दशा में पूरी फसल के नप्ट होने की सम्भावना है। मक्का और बाजरा की फसल में कीट और बीमारी के निम्न प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ने से पहले ही रसायन का छिड़काव करें।
सरसों की फसल-तना छेदक कीट-इस कीट के लक्षण पौधों के तनों पर छेद के रूप में दिखाई देते है। इस कीट की पूर्ण विकसित सूॅडी 20-25 मिमी लम्बी, गन्दे भूरे सफेछ रंग की होती है। इसका सिर काला होता है तथा शरीर पर चार भूरी धारियॉ पाई जाती है। इसका प्रौढ़ पीले भूरे रंग का होता है एवं रात में सक्रिय होता है। इस कीट की सूड़ियॉ तनों में छेद करके अन्दर खाती रहती है। फसल के प्रारम्भिक अवस्था में प्रकोप के फलस्वरूप मृतगोभ बनता है परन्तु बाद की अवस्था में प्रकोप होने पर पौधे कमजोर हो जाते है, भुट्टे छोटे आते है तथा हवा चलने पर पौधा बीच से टूट जाता है।
फाल आर्मी वर्म-मक्का की फसल में लगने वाला घातक कीट है। फाल आर्मी वर्म का लार्वा भूरा, धूसर रंग का होता है तथा इसके पाश्र्व में तीन पतली सफेद धारियां और सिर पर उल्टा अग्रेजी अक्षर वाई (ल्) दिखता है। शरीर के दूसरे अन्तिम खण्ड में चार वर्गाकार गहरे बिन्दु दिखाई देते है तथा अन्य खण्डों पर चार छोटे-छोटे बिन्दु समलम्ब आकार में व्यवस्थित होते है। यह कीट फसल की सभी अवस्थाओं में हानि पहॅुचाता है। यह कीट मक्का की पत्तियों (गोम) के साथ-साथ बाली को भी नुकसान पहॅुचाता हैं।
पत्तियों का झुलसा रोग-इस रोग में पत्तियों पर बड़े लम्बे अथवा कुछ अण्डाकार भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। रोग के उग्र होने पर पत्तियॉ झुलस कर सूख जाती है।
कीट प्रबन्धन-खेत में पड़े पुराने खरपतवार एवं अवशेषों को नष्ट करें। संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें। फसल का लगातार निरीक्षण करें। मृतगोभ दिखाई देते ही प्रकोपित पौधों को भी उखाड़ कर नष्ट कर दें।
तना छेदक कीट के नियन्त्रण के लिए कार्बोफ्यूरान 3 सी.जी. की 20-25 किग्रा0 मात्रा का छिड़काव करें अथवा डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई0सी0 की 1.0 लीटर प्रति हेक्टर अथवा क्यूनॉलफास 25 प्रतिशत ई0सी0 की 1.50 लीटर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
फॉल आर्मी वर्म कीट के नियंत्रण के लिए इन्डाक्साकार्ब 5000 मिली. प्रति हेक्टर अथवा क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 200 मिली. प्रति हेक्टर मात्रा को 500 से 800 लीटर पानी में घोलकर 8 से 10 दिन अन्तर पर दो छिड़काव करें। 5 प्रतिशत पौध तथा 10 प्रतिशत गोभ क्षति की अवस्था में कीट नियंत्रण हेतु नीम ऑयल 5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
झुलसा रोग के नियंत्रण के लिए मैंकाजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. 2.00 किग्रा. अथवा जिनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. 2.00 किग्रा0 अथवा जीरम 80 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. 2.00 किग्रा0 मात्रा को प्रति हेक्टर के हिसाब से 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
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