हाथरस-9 जुलाई। कोतवाली सिकन्द्राराऊ क्षेत्र के एटा जीटी रोड स्थित गांव फुलरई मुगलगढ़ी पर गत 2 जुलाई को आयोजित साकार नारायण हरि भोले बाबा के विशाल सत्संग समागम में सत्संग समापन पर हुई भगदड़ में करीब 123 लोगों की दर्दनाक मौत हो जाने और दर्जनों लोगों के घायल हो जाने की दर्दनाक घटना के बाद उक्त मामले की जांच हेतु गठित एसआईटी द्वारा करीब 855 पेज की अपनी जांच रिपोर्ट शासन एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप गई है और रिपोर्ट के आते ही सरकार ने तत्काल पहला एक्शन लेते हुए छह अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि गत 2 जुलाई को कोतवाली सिकन्द्राराऊ क्षेत्र के एटा जीटी रोड स्थित गांव फुलरई मुगलगढ़ी पर साकार नारायण हरि भोले बाबा का विशाल सत्संग समागम आयोजित किया गया था और सत्संग समापन पर सत्संग समारोह में अचानक भगदड़ हो जाने से उक्त भगदड़ में तमाम भक्त नीचे दब गए और भीड़ उन्हें रौंदते हुए निकल गई और इस दर्दनाक हादसे में करीब 123 लोगों की जहां दर्दनाक मौत हो गई। वहीं दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए और घटना की खबर से शासन प्रशासन आदि में भारी खलबली मच गई और भारी हा-हाकर मच गया था। इस भयानक दर्दनाक हादसे में कई मासूम बच्चे व महिलाएं तथा लोगों की मौत हो गई थी।
उक्त घटना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घटना का तत्काल संज्ञान लेते हुए तत्काल मौके पर जहां प्रदेश के मुख्य सचिव एवं डीजीपी को भेजा, वहीं दो मंत्रियों को भी मौके के लिए रवाना किया गया और पूरे आगरा अलीगढ़ मंडल एंव जोन के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए तथा अधिकारियों को प्राथमिकता के साथ घायलों के बेहतर उपचार एवं मृतकांे के शवों की पहचान कराकर उनका सम्मान सहित उनके परिजनों को सुपुर्द करने व उन्हें उनके गंतव्य तक भिजवाए जाने हेतु निर्देशित किया गया तथा घटना की जांच हेतु एसआईटी का भी गठन कर मृतकों एवं घायलों के लिए केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार द्वारा मुआवजा राशि का भी ऐलान किया गया।
उक्त भगदड़ कांड की जहां एसआईटी द्वारा अपनी जांच रिपोर्ट कल देर रात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप गई है और यह जांच रिपोर्ट करीब 900 पेज की है। सरकार ने एसआईटी रिपोर्ट में से 9 विशेष बातों का जिक्र करते हुए एक विज्ञप्ति जारी की है, जिसमें कहीं भी भोले बाबा का नाम नहीं है। आयोजकों और प्रशासनिक अधिकारियों को लापरवाह बताया गया। एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने तत्काल एक्शन लेते हुए उक्त मामले में एसडीएम रविंद्र कुमार, सीओ आनंद कुमार, तहसीलदार सुशील कुमार, कोतवाली इंस्पेक्टर आशीष कुमार, चैकी इंचार्ज कचैरा मनवीर सिंह और पोरा चैकी इंचार्ज बृजेश पांडे को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है।
इधर उक्त मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और आज याचिकाकर्ता वकील विशाल तिवारी से चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मैंने कल ही याचिका को लिस्टेड करने का आदेश दिया। याचिका में हादसे की जांच रिटायर्ड जस्टिस की निगरानी पांच सदस्यीय टीम से कराने की मांग की गई है।
उक्त हादसे के मामले में एसआईटी ने रिपोर्ट में कहा है कि हादसे में साजिश से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इसकी गहनता से जांच जरूरी है। हादसा में एसआईटी ने प्रारंभिक जांच में चश्मादीद गवाहों व अन्य साक्ष्यों के आधार पर आयोजकों की लापरवाही माना है। पुलिस प्रशासन अधिकारियों ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया, वरिष्ठ अफसर को इसकी जानकारी तक नहीं दी गई। भीड़ के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए। आयोजन होने बिना पुलिस वेरिफिकेशन जिन लोगों को अपने साथ जोड़ा उनसे व्यवस्था फैली। दो सदस्यीय एसआईटी में एडीजी जोन आगरा और मंडल आयुक्त अलीगढ़ की एसआईटी ने जांच के दौरान 125 लोगों के बयान दर्ज किये। जिसमें प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के साथ आम जनता एवं प्रत्यक्षदर्शियों का भी बयान लिया गया। इसके अलावा एसआईटी ने घटना से संबंधित स्थलीय वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी आदि का भी संज्ञान लिया है।
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