बड़मावस पर गुरूवार को महिलाओं ने उपवास रखा और वट सावित्री का विधि-विधान के साथ पूजन किया। इसके बाद मंदिरों में जाकर अटल सौभाग्य की कामना के साथ माथा टेककर पूजा-अर्चना की।
गुरूवार को बड़मावस पर वट सावित्री व्रत की घरों में तैयारियां सुबह से ही शुरू हो गईं। महिलाओं ने घरों में पूजा स्थलों की सफाई की। देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्नान कराने के बाद उन्हें नए वस्त्र पहनाए। फूलों की झडियों आदि से पूजा स्थलों को काफी खूबसूरत ढंग से सजाया गया। इसके बाद घरों में पूजन की तैयारियां शुरु हुईं। महिलाओं ने पूजन के लिए तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किए। पूजन की सारी तैयारियां पूरी हाने पर पूजा की थाली के साथ पारंपरिक ढंग से पूजा-अर्चना करने के लिए महिलाएं घर के पास के वट वृक्ष के नीचे एकत्र हुईं। जिनके घरो के निकट वट वृक्ष नहीं था उन्होंने एक दिन पूर्व वट वृक्ष की डाली लाकर गमलों में लगाई और वट वृक्ष की सभी ने विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की। वट वृक्ष पर कच्चे सूत का धागा लपेटते हुए उसके चारों ओर परिक्रमा कर वट अमावस की कहानी सुनी। तत्पश्चात मंदिर में जाकर अपने सुहाग की दीर्घायु की ईश्वर से कामना कर विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की। इसके बाद प्रसाद घर की बुजुर्ग महिला को दिया। और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
![sunil sharma](https://secure.gravatar.com/avatar/aaa8966719f7320b87d5107683fae7df?s=96&r=g&d=https://dainiklalsa.com/wp-content/plugins/userswp/assets/images/no_profile.png)