गांव रूदायन में चल रहे श्रीमद्भाभागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान व्यास पीठ पर विराजमान परम पूज्य श्री अनंतानंत दास जी महाराज (मलूक पीठ पुजारी) ने अहंकार को मानव विनाश का कारण बताया जिसे सुन भक्त श्रोता भाव विभोर हो गये।
सोमवार की कथा में कथा व्यास जी ने सुनाया कि श्रीमद्भागवत कथा सुनने का व्यक्ति जब संकल्प करता है, उसी समय परमात्मा उसके हृदय में आकर निवास कर लेते हैं। भगवान की कथा ऐसी है कि इसका ज्यों-ज्यों पान करते हैं, त्यों-त्यों इच्छा बढ़ती जाती है। कथा रस कभी घटता नहीं निरंतर बढ़ता रहता है। नित्य नए आनंद की अभिवृद्धि होती रहती है। श्रीमद्भागवत आध्यात्म दीपक है, जिस प्रकार एक जलते हुए दीपक से हजारों दीपक प्रज्वलित हो उठते हैं, उसी प्रकार भागवत के ज्ञान से हजारों, लाखों मनुष्यों के भीतर का अंधकार नष्ट होकर ज्ञान का दीपक जगमगा उठता है, भगवान का आश्रय ही सच्चा आश्रय है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा को सुनना तीर्थ करने के समान है। जो जैसा कर्म करेगा वैसा फल मिलेगा। व्यक्ति को मांसाहार नहीं करना चाहिए। अपनी आत्मा की पूर्ति और जीभ के स्वाद के लिए दूसरे जीवों को मारकर खा जाना घोर अपराध है। हर जीव को अपनी जिंदगी जीने का पूर्ण अधिकार है। इसलिए श्रीमद् भागवत कथा में भगवान के अवतारों की कथा बार-बार सुननी चाहिए। इससे हृदय का विकार दूर हो जाता है। अपने अवतार के माध्यम से श्रीहरी ने मानव जीवन को समझाने का प्रयास किया है। घर में श्रीमद्भगवत की पूजा होनी चाहिए। इस दौरान इस दौरान राजा परीक्षित के रूप मे रिसेंन्द्र शर्मा तथा रानी रूप मे श्रीमती मनु देवी, श्री रामचैक मंदिर महंत श्री केशव दास जी, रुपेश उपाध्याय, खगेन्द्र शास्त्री, शुभम उपाध्याय, अरविन्द, नमन मिश्रा, नमन उपाध्या, मोहन, मनोज पण्डित, सहित तमाम ग्रामीण भक्त मौजूद थे।
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श्रीमद्भागवत कथा सुनने के संकल्प से ही परमात्मा प्राप्ति हो जाती है – श्री अनंतानंद जी महाराज
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