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October 22, 2024 9:08 am

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महारास लीला सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रोता

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गांव रूदायन में चल रहे संगीतमय श्रीमद्भाभागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान व्यास पीठ पर विराजमान परम पूज्य श्री अनंतानंत दास जी महाराज (मलूक पीठ पुजारी) ने महारास लीला का रोचक वर्णन किया। जिसे सुन सभी श्रोता भाव विभोर हो गये।
बुधवार को भागवत में महारास प्रसंग का वर्णन करते हुए कथा व्यास महाराज कहते हैं, महारासलीला भागवत के सभी अध्यायों में सबसे महत्वपूर्ण हैं। गोकुल की गोपियों का जीवन दिव्य, पावन, पवित्र है। गोपियों का जीवन चरित्र हमें सिखता है कि भगवान से निस्वार्थ प्रेम आखिर क्या होता है। मानव का परमात्मा के साथ मिलन ही महारास है। भगवान कृष्ण मुरली बजाकार महारास का आव्हान करते हैं। जमूना के तीरे आकाश के पुष्प वर्षा हो रही है, देवतागण स्वयं संगीत बजा रहे हैं। इस दौरान राजा परीक्षित के रूप मे रिसेंन्द्र शर्मा तथा रानी रूप मे श्रीमती मनु देवी, श्री रामचैक मंदिर महंत श्री केशव दास जी, रुपेश उपाध्याय, खगेन्द्र शास्त्री, शुभम उपाध्याय, अरविन्द, नमन मिश्रा, नमन उपाध्या, मोहन, मनोज पण्डित, सहित तमाम ग्रामीण भक्त मौजूद थे।

वहीं दूसरी ओर मडराक के गांव नोहटी में चल रहे संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान कथा व्यास कन्हैया शास्त्री जी महाराज ने महारास का वर्णन करते हुए कहा कि गोपी गीत कृष्ण भक्ति का सर्वोत्तम गीत है। अपने अराध्य प्रभु श्रीकृष्ण से प्रार्थना करते हुए गोपियां कहती हैं हे यदुवंश शिरोमणि ! तुम अपने प्रेमियों की अभिलाषा पूर्ण करने वालों में सबसे आगे हो। जो लोग जन्म-मृत्यु रूप संसार के चक्कर से डरकर तुम्हारे चरणों की शरण ग्रहण करते हैं, उन्हें तुम्हारे कर कमल अपनी छत्र छाया में लेकर अभय कर देते हैं। हे हमारे प्रियतम ! सबकी लालसा-अभिलाषाओ को पूर्ण करने वाला वही करकमल, जिससे तुमने लक्ष्मीजी का हाथ पकड़ा है, हमारे सिर पर रख दो। गोकुल में मुरली बाजे रे…श्याम संग राधा नाचे रे… तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे बलिहार सांवरे… आदि भजनों पर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध होकर नृत्य करते रहे।
कथा व्यास ने कालवयन वध का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि जब भगवान कृष्ण ने मुचकुन्द महाराज के माध्यम से कालवयन का वध करवाया और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें कलयुग में संत के रूप में जन्म लेकर मनुष्य को आडम्बरों से बचने के लिए ज्ञान और आध्यात्म का प्रचार करने का आशीर्वाद दिया। कलयुग में राजा मुचकुन्द ने कृष्ण भक्त नरसी मेहता के रूप में जन्म लिया। उन्होंने ने कहा कि जब भगवान से सबको मानव जीवन दिया है तो हमें आडम्बर से बचना चाहिए। इस दौरान इस दौरान में परुषोतम दास जी महाराज, अजीत सिंह तौमर, विमल महाजन, मुन्नीदेवी, प्रेमवती, राधा, मीनू, नैना, अन्नूशिला देवी, आदि लोग मौजूद रहे।

sunil sharma
Author: sunil sharma

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