गांव सितहारी के भक्तों द्वारा नरौरा के टीला वाले आश्रम में कराई जा रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान कथा व्यास पण्डित राधे तन्नू शास्त्री जी महाराज श्री लाडली धाम आश्रम वृंदावन वाले ने भगवान श्री कृष्ण के बाल लीलाओं का वर्णन कर धर्म अर्थ काम व मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला। जिसे सुन पूरा कथा परिसर भगवान श्री कृष्ण के जयकारों तथा नंद के घर आनंद भयो जय.. कन्हैया लाल की जय से गूंजायामान हो उठा।मंगलवार की कथा में उन्होंने कहा जब-जब अत्याचार और अन्य बढ़ता है तब तक प्रभु का अवतार होता है प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है जब वह कौन से ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तो प्रभु श्री कृष्ण का जन्म हुआ यहां पर जैसे ही श्री कृष्ण के जन्म का प्रसंग कथा में आया तो श्रद्धालु हरे राधा कृष्ण के उद्घोष के साथ नृत्य करने लगे। कथा के क्रम को आगे बढ़ते हुए गिरिराज जी की पावन कथा का स्मरण कराया। इस दौरान इस दौरान यज्ञाचार्य अवनीश भारद्वाज, परीक्षित ज्वाला प्रसाद दीक्षित तथा रानी के रूप में गायत्री देवी एवं यज्ञ यजमान श्रीमती रजनी शर्मा, तरुण शर्मा, प्रशांत दीक्षित, श्रीमती माधुरी दीक्षित, जितेंद्र दीक्षित, श्रीमती वंदना दीक्षित, योगेश दीक्षित-श्रीमती गरिमा दीक्षित, वहीं कथा अयोजन में गिरजा देवी, सोनी दीक्षित, नेहा दीक्षित, अनंत दीक्षित, वंश दीक्षित, शिवांग दीक्षित, मुदित दीक्षित, मौजूद थे।दूसरी ओर गांव रूदायन के श्री राधागोपालधाम श्री रामचैक मंदिर परिसर में श्रीमज्जगद्गुरू द्वाराचार्य श्री मलूकपीठाधीश्वर स्वामी राजेन्द्र दास देवाचार्य जी महाराज के निर्देशन में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में उनके शिष्य श्री अनंतानंद महाराज ने भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र की पूजा बंद करके गोवर्धन जी की पूजा कराई। गिरिराज जी की पूजा में भगवान ने शिक्षा दी है कि व्यक्ति को अपना कर्म सदैव करते रहना चाहिए कम करने से ही व्यक्ति को फल की प्राप्ति होती है। कथा के बीच-बीच में महाराज जी के मुख्य भजन सुनकर सभी भक्ति भाव विभोर हो गए। उन्होंने कहा कि भगवान किसी के साथ भी अन्याय नहीं होने देते और जो प्रारब्ध हम पिछले जन्म का लेकर आए हैं, वह हमें भोगना पड़ता है, चाहे मुस्कुराकर भोगे या फिर रोकर भोगना पड़े। इस दौरान इस दौरान राजा परीक्षित के रूप मे रिसेंन्द्र शर्मा तथा रानी रूप मे श्रीमती मनु देवी, श्री रामचैक मंदिर महंत श्री केशव दास जी, रुपेश उपाध्याय, खगेन्द्र शास्त्री, शुभम उपाध्याय, अरविन्द, नमन मिश्रा, नमन उपाध्या, मोहन, मनोज पण्डित, सहित तमाम ग्रामीण भक्त मौजूद थे।वहीं मडराक के गांव नोहटी में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास श्री काष्र्णिकन्हैया शास्त्री महाराज नेे कहा कि भगवान को रोकर प्रेम से पुकारने पर वह दौड़े चले आते हैं। आचार्य ने बताया कि जो मनुष्य गिरिराज जी की पूजा करता है। श्री गिरिराज जी की परिक्रमा लगता है, उसके सभी संकट कट जाते हैं। उसको भगवान के चरणों की प्राप्ति होती है उसका संसार सागर में उद्धार हो जाता है। कथा के बाद आचार्य ने बताया कि कथा व्यास व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए, अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है, अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। इस दौरान यज्ञाचार्य काष्र्णि केशव किशोर शर्मा, परुषोतम दास जी महाराज, अजीत सिंह तौमर, विमल महाजन, मुन्नीदेवी, प्रेमवती, राधा, मीनू, नैना, अन्नूशिला देवी, आदि लोग मौजूद रहे।
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