हाथरस-7 अगस्त। राज्यसभा में शून्य काल के दौरान सांसद रामजीलाल सुमन ने जनपद के सिकन्द्राराऊ क्षेत्र के गांव फुलरई एवं मुगलगढ़ी में गत 2 जुलाई को सत्संग समारोह के समापन के दौरान हुए यकायक हादसे में हुई मौतों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए देश और प्रदेश की सरकारों से पीड़ित परिवारों की अधिक से अधिक सहायता किए जाने की मांग की है।
राज्यसभा में सांसद एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामजीलाल सुमन ने शून्य काल के दौरान सत्संग समारोह हादसे के प्रकरण को उठाते हुए कहा कि यद्यपि सरकारी आंकड़ों मे मरने वालों की संख्या 123 है। जबकि सही अर्थों मे ये संख्या बहुत ज्यादा है। कुछ तो लाशों का पोस्टमार्टम नहीं हुआ और कुछ तो परिवारोंजनों ने भी लाशों का पोस्टमार्टम नहीं कराया। हादसे में मृतक लोगों के परिवारों को 2 लाख रुपये की आंशिक सहायता राज्य सरकार ने परिवारों को दी है, जो ऊंट के मुॅह मे जीरा है। प्रधानमंत्री ने भी घोषणा करने के बावजूद कोई धनराशि पीड़ित परिवारों को नहीं दी है।
राज्यसभा में सांसद सुमन ने कहा कि जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। जो घायल लोग थे उनका अस्पताल मे पंजीकरण ही नहीं हुआ। तमाम लोगों को अपने घर पर ही इलाज कराने के लिये बाध्य होना पड़ा। जो लोग मारे गए उनका परिवार अत्यधिक निर्धन हैं। सरकार को चाहिए कि वो पीड़ित परिवारों मे से एक व्यक्ति को नौकरी दे। उन्होंने कहा कि जो लोग भोले बाबा के सत्संग के बाद गिरफ्तार किए गए हैं, उनकी गिरफ्तारी झूठ और मनगढ़ंत है। उसकी समीक्षा करके उन लोगों को तुरंत रिहा किया जाए। इस प्रकरण के लिये न तो भोले बाबा जिम्मेदार है न ही सेवादार।
श्री सुमन ने कहा कि आयोजकों ने सत्संग की अनुमति ली और ये आशा जताई कि लगभग 80000 लोग इस सत्संग मे शामिल होंगे। लेकिन भीड़ की संख्या दोगुने से भी ज्यादा हो गई। प्रशासन का काम सिर्फ अनुमति देना ही नहीं था। ये देखना भी था कि सत्संग स्थल पर स्थिति कैसी है। उस हिसाब से उन्हें पुलिस बल की भी तैनाती करनी चाहिए थी। व्यवस्था के नाम पर एक एंबुलेंस की गाड़ी और एक फायर ब्रिगेड की गाड़ी तथा नाम मात्र के लिये पुलिस बल तैनात था।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच के लिये एसआईटी गठित की, जिसमे उपजिलाधिकारी सिकन्द्राराऊ तथा पुलिस उपाधीक्षक सिकन्द्राराऊ सहित तमाम लोगों को दोषी करार दिया गया, तो फिर सत्संग मे उपस्थित लोगों की गिरफ्तारी क्यो ?। ये मामला अत्यधिक गंभीर है। मानवीय संवेदना का तकाजा है कि पीड़ित परिवारों की भरपूर मदद की जाए।
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