हाथरस-27 नवंबर। भारत का संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है और संविधान हम सभी को समानता एवं बराबरी का अधिकार देता है। संविधान सभी नागरिकों को मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता की गारंटी देने वाला है।
भारत के संविधान दिवस को लेकर ज्ञान कला संजीवनी समिति की सचिव डॉ. प्रीति लवानिया ने कहा है कि भारत में हर साल 26 नवंबर के दिन को राष्ट्रीय संविधान दिवस मनाया जाता है। इस दिन को साल 2015 से मनाया जा रहा है। यह दिन साल 1949 में पहली बार भारतीय संविधान को अपनाए जाने का प्रतीक है, जो कि 2 साल, 11 महीना, 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था। 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ, जिससे भारत एक संप्रभु गणराज्य बन गया।
उन्होंने बताया कि डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान के जनक के रूप में जाना जाता है जो कि संविधान सभा के अध्यक्ष थे। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी। यह संविधान निर्माण की शुरुआत थी।
संविधान में पहला संशोधन साल 1951 में हुआ और तब से संविधान में बदलाव होते रहे हैं।संविधान सभी नागरिकों को मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता की गारंटी देने के साथ सरकार व उसके कार्यों की रूपरेखा स्थापित करता है। राष्ट्रीय संविधान दिवस संविधान के मूल्यों-न्याय, समानता और विविधता में एकता का महत्व याद दिलाता है। यह दिन नागरिकों को लोकतांत्रिक सिद्धांतों का सम्मान करने और उन्हें बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करता है।
संविधान से पहले भारत में सत्ता का स्वरूप कुछ और था, संविधान के बाद का देश-एक नया भारत बना। इसका सम्मान और पालन करना हर भारतीय का कर्तव्य है। क्योंकि इस बारे में बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर ने एक चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर संविधान को लागू करने वाले लोग ठीक नहीं रहे तो यह केवल कागजों का पुलिंदा बनकर रह जाएगा।
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संविधान सभी नागरिकों को मौलिक अधिकारों व स्वतंत्रता की गारंटी देने वाला-डा. प्रीति लवानियां
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