हाथरस-10 अगस्त। रेवती मईया मेला के तीसरे दिन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मित्तल के जन्म के अमृतवर्ष मे बृज कला केन्द्र के सहयोग से आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पालिकाध्यक्ष श्वेता चैधरी एवं ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष मदनमोहन गौड़ एड.विशिष्ठ अतिथि पद से स्मृति शेष समाजसेवी सुरेशचन्द्र आँधीवाल स्मृति सम्मान से इटावा के ओजस्वी अतिथि कवि बृजेन्द्र प्रताप सिंह तथा शब्दों को जोडकर काव्य पाठ करने वाले देश के एकमात्र आशु कवि अनिल बौहरे को सम्मानित करते हुए कहा कि कविता समाज में क्रान्ति लाने की ताकत रखती है। 9 अगस्त काकोरी घटना की शताब्दी हम मना रहे हैं तो इस क्रान्तिकारी कदम को उठाने की प्रेरणा पं. रामप्रसाद बिस्मिल की कवितायें भी दे रहीं थीं।
विशाल कवि सम्मेलन में आशु कवि अनिल बौहरे के संचालन में काव्य पाठ से शुभारम्भ दीपक रफी ने दाऊ वन्दना से किया। बृज कला केन्द्र जिलाध्यक्ष चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य, राष्ट्रीय कवि संगम जिला प्रभारी डा. भरत यादव, संयोजक अतुल आंधीवाल ने मुख्य अतिथि पालिकाध्यक्ष श्वेता चैधरी तथा विशिष्ट अतिथि डा.विकास शर्मा द्धारा दाऊ मंदिर पुजारी की उपस्थित में समस्त कवियों के साथ समाज सेवियों संजीव आँधीवाल, अशोक कुमार शर्मा पूर्व सभासद, बांके बिहारी अपना वाले, रामकुमार गुप्ता, अशोक कुमार गुड वाले, मुकेश कुमार जेबरी बाले, पत्रकार शम्भूनाथ पुरोहित, धीरज वाष्र्णेय एड., सम्पादक अनिल कश्यप, डा.नीरज वाष्र्णेय, अनिल वाष्र्णेय तेल वाले, देवेश दीक्षित एड., साहित्यकार विद्यासागर विकल, साहित्यकार गोपाल चतुर्वेदी, डा. अरविंद शर्मा सिकन्द्राराऊ, काका हाथरसी संस्था के डा.जितेन्द्र शर्मा तथा डा. प्रवीन देव रावत, रामजीलाल शिक्षक, थान सिंह कुशवाहा आदि का समाज/साहित्य सेवार्थ सम्मान करवाया गया।
इस मौके पर फिर जमा थुआंधार, शानदार कवि-सम्मेलन का रंग। इटावा से ओजस्वी कवि बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने पढा-अपने कन्धों पर हमको सेवा भार उठाना होगा। वतन की रक्षा की खातिर हथियार उठाना होगा। राष्ट्रीय कवि संगम सिकन्द्राराऊ अध्यक्ष उन्नति भारद्वाज ने दहाडा-सोचो भाईचारा किस कौम से चल पावेगा, देखो जागो, वरना तो वक्त ही निकल जावेगा। आचार्य निर्मल मथुरा ने पढा- है मधुमास सुहावन रे। सखी सावन आयौ रे। सह जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम मनु दीक्षित मनु ने ऐलान किया-किया था दावा है फुब्बारा, टांय टांय फिस्स निकले।
खोज हुई, जांच हुई, तो अभ्यंकर अपने शिवशंकर निकले। हास्य कवि पदमसिंह अलबेला कोटा-किसको पता किसकी कितनी उम्र पडी है। मेरी जिन्दगी की रेल तो आउटर पै खडी है। अंजली अग्निहोत्री ने सुनाई -मैं हूं नारी दुखारी, इस समाज से हारी।
कवि सम्मेलन में वरिष्ठ कवियों में श्याम बाबू चिन्तन ने-नफरत के नासूर से दुनिया बीमार। बाबा देवीसिंह निडर-दाऊ हल्धर बारौ, बृज कौ रखबारौ। प्रदीप पंडित-राधे राधे जपने से श्याम मिल जावेंगे। रौशनलाल वर्मा-वलाय बलभद्राय, श्री रेवती रमये नमः।
रसराज ने हंसाया- सावन के महीने घेवर, भावी को खिलावै देवर। चाचा हाथरसी ने कहा- सोचो किसकी नजर लगी है मेरे हिन्दुस्तान को।
पूरन सागर-भारत छोडो आन्दोलन की आँधी चली थी। निखिल वर्मा एडवोकेट -इतराती, सवरती, सुखरती है वो।
अंत में सभी का आभार व्यक्त अतुल आँधीवाल एडवोकेट, तथा प्रेम सिंह यादव एडवोकेट ने प्रगट किया।
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