सासनी-हाथरस राजमार्ग स्थित गंगा धाम कॉलोनी स्थित राष्ट्रीय मजदूर संघ एवं कौमी एकता को समर्पित साहित्यिक संस्था स्वर शायरी के संयुक्त तत्वावधान में मुकामी एवं बाहर से आए दो दर्जन से अधिक कवियों एवं शायरों से सजे गंगा जमुनी कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का अयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि द्वारा संयुक्त रूप से शमां रोशन करने व मां सरस्वती के छबिचित्र के सामने दीप जलाकर एवं पुष्प अर्पित करने के बाद सरस्वती वंदना एवं नात-ए- पाक की आयत से किया गया। फिर राष्ट्रीय एकता को समर्पित रचनाओं का दौर प्रारंभ हुआ। जिसका श्रोताओं ने देर रात तक आनंद लिया। कवि डॉक्टर दौलत राम शर्मा ने सैनिकों की शहादत को प्रणाम करते हुए काव्यात्मक श्रद्धांजलि अर्पित की-अपना नहीं था अपने देश का सवाल था होते जो और लाल तो सीमा पर भेजती जो मर मिटा वतन पर वह इकलौता लाल था। इसके बाद शायर डॉक्टर मुजीब शहजर ने इंसानी फितरत को अपनी शायरी का विषय बनाया-सांस भी अपनी मर्जी से लेता नहीं और खुद को समझता खुदा आदमी। उसके बाद पंकज भारद्वाज ने पढ़ा-कभी लिखी थी जो साथ मिलकर गजल अकेले ही अब उसको गा रहे हैं बिखर गई है रिदीफ जिस की उसे दोबारा सजा रहे हैं इसके बाद डॉक्टर वसी बेग बिलाल ने पढ़ा -हक बयानी का हाल रहा यही अगर यह जमाना मुझे सूली पर चढ़ा ही देगा। इसके बाद शायर नसीर नादान ने अपनी गजलों से समां बांधते हुए सुनाया-ये क्यों मुझ पे इतना सितम कर रही है तेरी याद आंखों को नम कर रही है। इसके बाद शायरआतिफ शेख मुजीबी ने पढ़ा-ताज वालों को मोहताज बना देता है वक्त इंसान को मिट्टी में मिला देता है। शायर उवैश जमाल शम्सी ने पढ़ा तुझसे ज्यादा तेरी तस्वीर का शैदाई हूं। ये वो जज्बा है जो तेरा होने नहीं देता । कवि विशाल नारायण शर्मा ने सुनाया वह जो हमसे परे बैठे हैं कसम खुदा की हम उन पर मरे बैठे हैं। कवि विनोद जायसवाल ने सुनाया कब तक आंसुओं की बरसात होगी कहां पर तुमसे मुलाकात होगी। इसके अलावा शायर बाबर इलियास शरीफ खान समीर आमिर राजा सुधांशु गोस्वामी हरिशंकर मन्मय की रचनाएं श्रोताओं द्वारा खूब सराही गई। देर रात तक चले कौमी एकता को समर्पित गंगा जमुनी मुशायरा को अपने अंजाम तक पहुंचाते हुए अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ ही कार्यक्रम का समापन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राशिद चैधरी और विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉक्टर राजकुमार उपाध्याय मंचासीन रहे। वहीं कार्रक्रम की अध्यक्षता सासनी के कवि विनोद कुमार जायसवाल ने की एवं कुशल संचालन शायर डा. मुजीब शहजर द्वारा किया गया।