इंडिया गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में भले ही संविधान, आरक्षण और जातीय समीकरण साध कर बीजेपी की हिन्दुत्व की राह में रोड़े बिछा दिये थे, लेकिन कहते हैं कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है और हाल ही में सम्पन्न हरियाणा और जम्मू कश्मीर के विधान सभा चुनाव में बीजेपी के हिन्दुत्व ने एक बार फिर हुंकार भरी और कांग्रेस के हरियाणा में सरकार बनाने के सपने चूर-चूर हो गये। इसी से उत्साहित बीजेपी अब यूपी के उप चुनाव में भी हिन्दुत्व की पिच पर बैटिंग करने का मन बना चुकी है। जातीय समीकरण को साधने के लिए भाजपा फिर हिंदुत्व के एजेंडे का इस्तेमाल करेगी। कहा जा रहा है कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव का फायदा भाजपा यूपी के उपचुनाव में भी उठाना चाहती है। पार्टी का भी मानना है कि हिंदुत्व के फार्मूले से जातीय समीकरण साधने में उसे मदद मिलेगी। भाजपा का केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व यूपी की नौ विधानसभा सीटों के लिए नवंबर में होने वाले उपचुनाव में हिंदुत्व के साथ राष्ट्रवाद के फार्मूले का परीक्षण करेगी।
लोकसभा चुनाव में यूपी में मनमाफिक नतीजे नहीं आने से दुखी बीजेपी को अगर हिंदुत्व के सहारे उप चुनाव में सफलता मिलती है तो 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए इसी आधार पर पार्टी का आलाकमान रणनीति बनाई जायेगा। दरअसल, हरियाणा में लगातार तीसरी बार और 2014 व 2019 के मुकाबले ज्यादा सीटों के साथ सरकार बनाकर भाजपा ने सारे कयासों को झुठला दिया है। वहीं, जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने का करिश्मा भाजपा भले ही नहीं कर पाई हो, लेकिन वहां मिले सबसे ज्यादा वोटों ने पार्टी में नई उम्मीद जगाई है।
लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में आए नतीजों को कांग्रेस ने भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति से विदाई के तौर पर प्रचारित किया। अब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर ने इसे एक तरह से खारिज कर दिया है। साफ है कि अब भाजपा यूपी के उपचुनाव में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के एजेंडे को धार देगी। इसका असर प्रदेश में दिखने भी लगा है। हालांकि, भाजपा के एजेंडे की काट को लेकर कांग्रेस और सपा ने भी तैयारी शुरू कर दी है।
बता दें हरियाण की तरह जम्मू-कश्मीर में भी ज्यादातर हिंदू भाजपा के पक्ष में गोलबंद दिखे। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, हिंदू लामबंदी जिस तरह जातीय गोलबंदी पर भारी पड़ती दिखी है, वह यह बताने को पर्याप्त है कि बंटोगे तो कटोगे के नारे ने नतीजों पर असर डाला है। जाहिर है कि भाजपा इसे और धार देगी ताकि यूपी में 2014 से लेकर 2022 जैसे समीकरणों को फिर मजबूत किया जा सके।
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