होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति अपने कार्य और चिकित्सकों की अथक लगन के कारण दिनों दिन लोकप्रिय होती जा रही है, दस वर्ष पूर्व यह चिकित्सा पद्धति विश्व में दूसरे नंबर पर इस्तेमाल की जाने वाली पद्धति थी किंतु कोरोना काल के बाद अपनी सिद्धंता के कारण नंबर एक पर आने की तैयारी में है, इस चिकित्सा पद्धति की खास बात यह है कि इसकी दवाएं रोगी के शरीर नाम मात्र की ही पहुंचती है और पूरे शरीर को ठीक कर देती है यहां तक कि जो लक्षण मरीज ने भी डाक्टर को नही बताए वह भी ठीक हो जाते हैं।
अतिशयोक्ति न माने अब हौम्योपैथिक चिकित्सक जन्मजात विकृतियों (जेनेटिक डिसऑर्डर) को भी ठीक करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं, जहां अन्य चिकित्सा पद्धतियां अपने हाथ खड़े कर रही हैं वहीं हौम्योपैथी इस चुनौती को स्वीकार कर मरीजों की आशा बनकर राहत पहुंचा रही है।
हौम्योपैथी अविष्कारक डा सैमुअल क्रिस्चियन फेड्रिक हेनमैन के जन्म दिवस के अवसर पर सम्पूर्ण विश्व की जनता उनका आभार प्रकट कर रही है। समस्त जगत को निरोग करने की प्रतिज्ञा करने वाले इस संत का जन्म 10 अप्रैल 1755 में जर्मन के शहर सेक्सोनी में हुआ था, प्रतिभा के धनी इस विद्वान ने एक ऐसी चिकित्सा पद्धति को जन्म दिया जिसका लाभ सम्पूर्ण जगत के असाध्य रोगियों को मिल रहा है।
उनके 269 वे जन्म दिवस पर उन्हे सादर नमन।
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