सिरसागंज में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित आर्य महाकुम्भ सम्मेलन में आर्य समाज के आदि संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती की 200वीं जन्मजयंती के अवसर तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें दूर दराज से आए विभिन्न गुरूकुलों के छात्र-छात्राओं ने विभिन्न प्रकार के व्यायामों का प्रदर्शन किया।
आयोजित कार्रक्रम में छात्र-छात्राओं ने स्वामी दयानंद सरस्वती के चरित्र का चित्रण करते हुए एक लघुनाटिका प्रस्तुत की। जिसमें बताया कि जब स्वामी दयानंद सरस्वती के समझाने पर महारज जसवन्त सिंह ने वैश्या से नाता तोड़ लिया। तब क्रोधित होकर वैश्या ने रसोइए जगन्नाथ को बहकाया और उससे मिलकर स्वामी जी को दूध में जहर मिलाकर पिला दिया। इससे स्वामी दयानंद सरस्वती जी बीमार हो गए। तब उनके मन में बडी पीड़ा हुई कि वह और 30 अक्टूबर 1883 को दिपावली के दिन परलोक सिधार गए। हालांकि जगन्नाथ द्वारा दूध में जहर देने की बात स्वामीजी को थोड़ी देर बाद ही पता चल गई थी। उन्होंने समय पाकर उसे अपने पास बुलाया। उनके आत्मिक प्रभाव से जगन्नाथ कांप गया और अपना अपराध स्वीकार कर लिया। इस मंचन को देख वहां बैठक सभी दर्शक भाव विभोर हो गये और मंचन की काफी सराहना की। कार्रक्रम में कन्या गुरुकुल महाविद्यालय सासनी हाथरस की प्राचार्या डॉ पवित्रा विद्याअलंकार व छात्राओं ने प्रतिभाग किया। मुख्य अतिथि कैबनेट मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह, पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम एवं आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान देवेंद्र पाल आर्य ने कन्या गुरुकुल महाविद्यालय सासनी हाथरस की छात्राओं के कला कौशल से प्रसन्न होकर महा विद्यालय की प्राचार्या डॉ पवित्रा विद्या अलंकार को प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
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