नगर की साहित्यिक संस्था उद्घोष द्वारा नव संवत्सर के स्वागत में शिक्षक नगर स्थित धर्मेंद्र यदुवंशी के आवास पर कवि चौपाल का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता मैनेजर साहब आर के सिंह ने और और कवि चौपाल का कुशल संचालन व्यंग्यकार कवि वीरेंद्र जैन नारद ने किया।
अध्यक्ष द्वारा मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन करने और कवि मुरारी लाल मधुर की सरस्वती वंदना के सस्वर पाठ के बाद कवि सुरेश चंद शर्मा ने सुनाया-नव संवत्सर की नवल चांदनी जग में नव संचार भरे पूजा हो जन जन की मानव मानव का मान करे। इसके बाद ब्रजभाषा कवि अशोक अग्रवाल ने सुनाया-हे संवत्सर तुमने आ कर धरती का सिंगार किया है। इसके उपरांत शैलेश अवस्थी ने कवि चौपाल को नई दिशा देते हुए सुनाया-सुनो तो मैया यह क्या बताएं कि मेरे दर पर जो लोग आए इसके बाद अशोक मिश्रा ने सुनाया-एक अजन्मी बेटी ने मां को खत में यह लिखवाया कांप उठी हूं जब से तुमने अल्ट्रासाउंड करवाया ।इसके बाद कवि रामनिवास उपाध्याय ने सुनाया-बदलेगा संसार जमाना देखेगा फूल बनेंगे खार जमाना देखेगा। इसके बाद कवि मुरारी लाल शर्मा मधुर ने सुनाया-भेड़ सदा मुड़ती रही खिंचती जिसकी ऊन निर्दोषों का देश में सदा बहा है खून संचालन कर रहे कवि वीरेंद्र जैन नारद ने सुनाया-गली मुहल्ले चौराहों पर करता गुंडागर्दी कौन मजबूरों मासूम फरिश्तों पर करता हम दर्दी कौन उठ कर आधी रात में बच्चा पूछ रहा डरते डरते लगा रहा है आग घरों में पहने खाकी वर्दी कौन ।इसके बाद धर्मेंद्र यदुवंशी ने सुनाया-मां शारदे वरदान दे अज्ञानता को मारकर सद्बुद्धि सबको ज्ञान दे। इसके अलावा वीरपाल सिंह वीर शैलेंद्र सिंह वीरेंद्र सिंह सोलंकी जगबीर सिंह की कविताएं भी श्रोताओं द्वारा सराही गई।अध्यक्ष द्वारा सभी आगंतुकों एवं कवियों का आभार व्यक्त करने और नव वर्ष की शुभकामनाओं व आशीर्वचनके साथ ही कवि चौपाल का औपचारिक समापन हो गया।