नगर के बुजुर्गों एवं कवियों की सामाजिक साहित्यिक संस्था साहित्यानंद ने कवियों की शाम महाराणा प्रताप के नाम कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसकी अध्यक्षता संस्था के संस्थापक एवं अध्यक्ष कवि रामनिवास उपाध्याय ने की।
गुरूवार को आयोजित कवि गोष्ठी का संचालन महेंद्र पाल सिंह ने किया। कवि गोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष अध्यक्ष द्वारा दीप प्रज्वलन करने और महाराणा प्रताप के छवि चित्र पर माल्यार्पण करने के बाद व्यंग्य कार कवि वीरेंद्र जैन नारद ने सुनाया-राणा वीर शिवाजी की गीतों में कथा सुनाता हूं इस माटी का तिलक लगाकर गीत प्रेम के गाता हूं। इसके बाद कवि रविराज सिंह ने सुनाया-प्यार भरे दिल में अरमान चाहिए महफूज हर किसी का ईमान चाहिए। हास्य कवि वीरपाल सिंह वीर ने सुनाया -बाबा कह गए नाती से ऐसा कलयुग आएगा घरवाली गर रूठ जाए तो बाहर वाली से काम चल जाएगा। कवि विष्णु कुमार शर्मा ने सुनाया -आरती कर घरवाली की प्राणपति प्रीतम प्यारी की। इसके बाद संचालन कर रहे महेंद्र पाल सिंह ने सुनाया -आओ लोगों अब तुम देखो नारीआज की कैसी अदम की उड़ी धज्जियां लोक लाज की। इसके बाद अध्यक्षता कर रहे कवि रामनिवास उपाध्याय ने सुनाया -भामाशाह मिले हैं लाखों किंतु प्रताप नहीं है रोटी घास सभी खा बैठे देश उत्थान नहीं है। इसी के साथ ही कार्यक्रम आयोजक एवं संयोजक वीरेन्द्र जैन नारद ने सभी आगंतुक कवियों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त करते हुए गोष्ठी के समापन की घोषणा की।
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