नगर की साहित्यिक सामाजिक संस्था साहित्या नंद ने पावस ऋतु के आगमन पर रविराज सिंह की अध्यक्षता और एमपी सिंह के कुशल संचालन में कवि चैपाल का आयोजन किया।
अध्यक्ष द्वारा मां सरस्वती के छवि चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित करने व पप्पू टेलर की सरस्वती वंदना के सस्वर पाठ से कवि चैपाल का शुभारंभ हुआ तत्पश्चात उन्होंने सुनाया-घर का बोझ नहीं है बेटी सुनो लगा कर ध्यान है जिस घर में ना जन्मे बेटी वह घर नरक समान है। इसके उपरांत जल संरक्षण को अपनी कविता का विषय बनाते हुए कवि अशोक मिश्रा ने सुनाया-जल ही जीवन जल ही अमृत जल ही जीवन दाता है फिर मूरख अमूल्य पानी को व्यर्थ में क्यों बहाता है। कवि रामनिवास उपाध्याय ने सुनाया-तुम मेरी गंगा लौटा दो खूब बहाई उलटी गंगा अब तो इसको नई दिशा दो। इसके बाद कभी चैपाल को नई दिशा देते हुए अपनी हास्य कविताओं से वीरपाल सिंह वीर ने सभी को खूब गुदगुदाया-जा टीवी सीडी ने कैसौ माहौल बिगाड़ौ है शरम कौ ऊ चश्मा आंखन से उतारौ है।कवि डॉ.प्रभात कुमार ने रस परिवर्तन करते हुए सुनाया -हम आज भी उसकी फिक्र कर रहे हैं तरन्नुम में जिसका जिक्र कर रहे हैं । कवि विष्णु शर्मा ने परिवार में पत्नी की भूमिका को काव्य बद्ध किया-घर की शान रही घरवारी घर को स्वर्ग बनाती है बांधे रखे परिवार सभी पर अपना प्यार लुटाती है। कवि रविराज सिंह ने सुनाया-वो मुझे देखकर मुस्कुराता रहा मेरा दिल मेरे हाथों से जाता रहा।कवि महेन्द्रपाल सिंह ने सुनाया-अंग्रेजी की ललक में पब्लिक कट रही रोज सो बच्चे मां-बाप के सर पर बन गए बोझ। इसके पश्चात वीरेन्द्र जैन नारद ने पावस ऋतु के स्वागत में पढ़ा- बरसात जल्दी आ जरा आराम तो मिले जिसमें मिले चैन-ओ-शुकूं वो शाम तो मिले। इसके अलावा कभी शैलेश अवस्थी नेहा वार्ष्णेय मयंक चैहान रविकांत गगन वार्ष्णेय गोविंद कृष्णा प्रवेश नताशा उपाध्याय ने भी काव्य पाठ किया इसके बाद अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ ही कवि चैपाल संपन्न हुई।
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