मोहर्रम के चालीस दिन बाद कस्बा में चेहल्लुम का जुलूस निकाला गया। मातमी माहौल नम आंखों से इमाम हुसैन को याद करते हुए मुस्लिम समाज के लोग ईदगाह के निकट स्थित कर्बला पहुंचे। यहां नौहाख्वानी पढ़ने के बाद ताजिया दफन किए गए।
मंगलवार को मौहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत के चालीसवें पर शहर में चेहल्लुम के ताजिए मातमी जुलूस के साथ निकाले गए। जुलूस नूरी मस्जिद के सामने इमामबाड़ा से ताजियों के साथ शुरु हुआ। इसके पीछे मुस्लिम समाज के सैकडों लोग नम आंखों से इमाम हुसैन को याद करते हुए चल रहे थे। चेहल्लुम का जुलूस मोहल्ला कस्सावान से शुरू होकर मोहल्ला विष्णुपुरी, आगरा अलीगढ राजमार्ग, जामा मस्जिद, बच्चा पार्क, सेंट्रल बैंक, शहीद पार्क, बस स्टैण्ड बडे श्री हनुमान जी मंदिर, रूदायन रोड तिराहा, पुरानी सब्जी मंडी होते हुए करबला पहुंचे। यहां नम आंखों से नौहाख्वानी पढी गई और ताजियों को कर्बला में दफन किया गया। बता दें कि इमाम हुसैन की याद का पर्व है चेहल्लुम करबला की जंग देखने में एक छोटी सी जंग थी, लेकिन यह जंग दुनिया की सबसे बड़ी जंग साबित हुई। जिसमें मुट्ठी भर लोगों ने अपनी शहादत देकर दुनिया को एक रोशनी दिखाई थी। शहीद हो कर इस्लाम का परचम लहराया था। इस दौरान सुरक्षा की कमान प्रभारी निरीक्षक श्याम सिंह स्वयं दल-बल के साथ संभाले हुए थे।