आदर्श श्री रामलीला एवं श्री कृष्ण लीला मंडल द्वारा पवन देव व्यास के निर्देशन में चल रहे श्री रामलीला महोत्सव के दौरान भगवान श्री राम की लीलाओं का मंचन करते हुए श्री रामलीला कलाकारों द्वारा गुरूवार को नारद मोह, रावण दिग्विजय, आकाशवाणी,रावण, कुंभकरण, विभीषण द्वारा बृह्मा जी की तपस्या, वरदान, लीला का सुंदर मंचन हुआ।
श्रीरामलीला मंचन में नारद मुनि भगवान विष्णु के पास जाकर विश्वमोहिनी के स्वयंवर के लिए श्री हरि के मुख की कामना करते हैं। भगवान विष्णु नारद मुनि के अंदर मोह की भावना देखते हैं और उन्हें एक वानर का मुख दे देते हैं। विश्वमोहिनी के स्वयंवर में उनका बहुत उपहास होता है। वे क्रोध के अभिभूत हो भगवान विष्णु को श्राप दे देते हैं। उधर रामायण में रावण, विभीषण और कुंभकर्ण तीनों भाई ब्रह्माजी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या कर रहे थे। तप से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी प्रकट हुए। रावण को वर देने के बाद कुंभकर्ण को देखकर ब्रह्माजी चिंतित हो गए। ब्रह्माजी की चिंता का कारण ये था कि अगर कुंभकर्ण हर रोज भरपेट भोजन करेगा तो जल्दी ही पूरी सृष्टि नष्ट हो जाएगी। इस कारण ब्रह्माजी ने सरस्वती के द्वारा कुंभकर्ण की बुद्धि भ्रमित कर दी। कुंभकर्ण ने मतिभ्रम के कारण 6 माह तक सोते रहने का वरदान मांग लिया। श्री रामलीला मंचन के दौरान व्यास पवनदेव, आचार्य पं. अशोक कुमार शर्मा, उपाचार्य पं. संजय शर्मा, सहआचार्य पं. शैलेश शर्मा, लीलाधर शर्मा, क्रमल कुमार वाष्र्णेय, पंडित प्रकाश चंद शर्मा, डॉक्टर लोकेश शर्मा, लीलाधर शर्मा, रामनिवास शर्मा, जयप्रकाश महेश्वरी, महिपाल सिंह, सुधीर अग्रवाल, सुनील वार्ष्णेय, प्रदीप गुप्ता, निर्देश वार्ष्णेय, बृजेश कुमार शर्मा, प्रमोद गर्ग, आदि मौजूद थे। सुरक्षा की कमान प्रभारी निरीक्षक श्याम सिंह मयफोर्स के संभाले हुए थे।
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जौं एहिं खल नित करब अहारू। होइहि सब उजारि संसारू।।
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