आदर्श श्री रामलीला एवं श्री कृष्ण लीला मंडल द्वारा पवन देव व्यास के निर्देशन में चल रहे श्री रामलीला महोत्सव के दौरान श्री रामलीला मंचन में श्री सीताराम सहित चारों भाईयों का विवाह, कैकई मंथरा संवाद कैकई का कोपभवन में जाना राजादशरथ से दो वरदान मांगना जैसी लीलाओं का भावुक एवं मार्मिक मंचन किया गया।
मंगलवार को श्री रामलीला मंचन में सीता राम एवं चारों भाईयों के विवाह के बाद धूमधाम से राम के राजतिलक की तैयारियां चलती हैं इसी बीच दासी मंथरा जाकर रानी कैकेयी के कान भरती है। तब रानी अपनी दासी मंथरा की बातों में आकर आभूषण आदि त्यागकर कोप भवन में चली जाती हैं। यह समाचार पाकर राजा दशरथ वहां जाते हैं और रानी से इसका कारण पूछते हैं। रानी कैकेयी तब राजा को पूर्व में दिए गए दो वर मांगने का वचन याद दिलाती हैं। राम की शपथ दिलाकर राजा से दो वर भरत को राजगद्दी और राम को वनवास मांगती हैं। यह सुनकर राजा हतप्रभ रह जाते हैं और दुखी मन से रानी के सामने अनुनय विनय करते हैं लेकिन रानी की हठ के आगे उनकी एक नहीं चलती। वह असहनीय कष्ट के चलते मूर्छित हो जाते हैं। जब यह समाचार राम को मिलता है तो वह अपने पिता की आज्ञा से सहर्ष ही वन जाने को तैयार हो जाते हैं। वहीं सीताजी और लक्ष्मण भी उनके साथ वन जाने की हठ करते हैं। प्रभु श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता अपने पिता से अनुमति लेने जाते हैं और पुत्र वियोग में राजा दशरथ हृदय विदीर्ण करने वाला विलाप करते हैं। श्री रामलीला मंचन के दौरान व्यास पवनदेव, आचार्य पं. अशोक कुमार शर्मा, उपाचार्य पं. संजय शर्मा, सहआचार्य पं. शैलेश शर्मा, लीलाधर शर्मा, क्रमल कुमार वाष्र्णेय, पंडित प्रकाश चंद शर्मा, डॉक्टर लोकेश शर्मा, लीलाधर शर्मा, रामनिवास शर्मा, जयप्रकाश महेश्वरी, महिपाल सिंह, सुधीर अग्रवाल, सुनील वार्ष्णेय, प्रदीप गुप्ता, निर्देश वार्ष्णेय, बृजेश कुमार शर्मा, प्रमोद गर्ग, आदि मौजूद थे। सुरक्षा की कमान प्रभारी निरीक्षक श्याम सिंह मयफोर्स के संभाले हुए थे।