भारत के राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जन्म जयंती को बुजुर्गों एवं कवियों की साहित्यिक संस्था साहित्यानंद द्वारा शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हुए कवि एवं साहित्यकारों को सम्मानित किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक संगठन के प्रांतीय उपाध्यक्ष योगेश त्रिवेदी ने तथा कार्यक्रम का कुशल संचालन विष्णु कुमार शर्मा ने किया।
अध्यक्ष द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित करने के बाद पप्पू टेलर ने मां सरस्वती वंदना करने के बाद सुनाया सर का बोझ नहीं है बेटी सुनो लगा कर ध्यान है जिस घर में ना जन्मी बेटी वह घर नर्क समान है। इसके बाद हास्य कवि वीरपाल सिंह वीर ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को हंसने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने सुनाया हंस करके जी भर के जिंदगी का मजा लीजिए गले में हाथ डाल के मैडम से लव कीजिए। उसके बाद कवि रविराज सिंह ने सुनाया जब अंगीठी की आंच धसक जाती है और दाल अधपकी रह जाती है तो मुन्नू की मां मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है। व्यंग्यकार कवि वीरेंद्र जैन नारद ने एक से बढ़कर एक कविताओं का पाठ किया ।उन्होंने सुनाया शिक्षक हो मेहरबान तो शिष्य हो विद्वान इसलिए शिक्षक को कभी न भूलें श्रीमान सदा करें शिक्षक का सम्मान ज्ञान का दीप जलाएं उजाला घर-घर फैलाएं। इसके बाद विष्णु कुमार शर्मा ने सुनाया आरती कर घरवारी की प्राण पति प्रीतम प्यारी की । कवि रामनिवास उपाध्याय ने सुनाया भृष्ट तंत्र का लोकतंत्र पर जब प्रहार होता है तब भारत का संविधान भी जार जार रोता है इसके बाद साहित्यिक संस्था साहित्यानंद द्वारा अवकाश प्राप्त शिक्षक डॉक्टर सत्य प्रकाश शर्मा को और व्यंग कार कवि वीरेंद्र जैन नारद को शाल उढ़ा कर शिक्षा एवं साहित्य सृजन के क्षेत्र में योगदान देने के लिए सम्मानित किया गया। तत्पश्चात अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ गोष्ठी का औपचारिक समापन हो गया।