नगर की साहित्यिक सामाजिक संस्था साहित्यानंद द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक संगठन के प्रांतीय उपाध्यक्ष योगेश त्रिवेदी की अध्यक्षता और वीरेंद्र जैन नारद के कुशल संचालन में ग्रीष्मकालीन कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया।
शनिवार को कविगोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती के छवि चित्र के समक्ष अध्यक्ष द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करने के बाद पप्पू टेलर ने सरस्वती वंदना का सस्वर पाठ किया। तत्पश्चात उन्होंने सुनाया-कूलर पंखे फेल हो गए मुश्किल हुआ है जीना गर्मी की सौगात बांटता आया जून महीना। इसके बाद कवि विष्णु शर्मा ने सुनाया-आरती कर घरवारी की प्राण पति प्रीतम प्यारी की । इसके उपरांत कवि शैलेश अवस्थी ने कविता के माध्यम से पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संदेश दिया-आओ शपथ लें हम सभी जन स्वच्छ बनाएं तन और मन शौचालय हमें बनाना है और पर्यावरण बचाना है तत्पश्चात रविराज सिंह ने सुनाया सदियों तक तुम सोते रहे अब तो जागो भाई अब भी नहीं जागे यदि तुम तो होगी बहुत हंसाई। इसके बाद इसके बाद नेहा वार्ष्णेय ने सुनाया-यह देश हमारा अपना है इसे स्वर्ग बनाए सपना है। हास्य कवि वीर पाल सिंह वीर ने अपने चिर परिचित अंदाज में कविता प्रस्तुत की-बांध रहा क्यों बेटा गठरी पाप की अब तो अपना फर्ज निभा ले सेवा कर मां बाप की। कवि राम निवास उपाध्याय ने सुनाया-धरती पर आकाश आ गया यारो नया विकास आ गया ।संचालन कर रहे कवि वीरेंद्र जैन नारद ने सुनाया-सूरज चांद सितारे रहते मिलकर आसमान में लेकिन हम सब रह ना पाए मिलकर हिंदुस्तान में। इसी के साथ ही अध्यक्षता कर रहे योगेश त्रिवेदी द्वारा सभी कवियों का आभार व्यक्त करने के साथ गोष्ठी का औपचारिक समापन किया गया।
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